शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

प्रथम लेख

        यूँ ही बैठा कुछ लिखने की सोच रहा था तभी अचानक मेरे एक जिगरी यार की कॉल हमारे पास आती है मेरी उनसे बात होती है | उनसे हमारी बात क्या हुई यह तो मै नही बताऊंगा लेकिन उनसे बात करने के बाद मुझे मेरे लेख लिखने का मुद्दा मिल गया जो कि आपके सामने प्रस्तुतु कर रहा हूँ और साथ ही साथ अपने उस यार को धन्यवाद भी देता हूँ............
        कल जिन आँखों में आपने मोहब्बत देखी थी आज उन्ही आँखों में नफरत देख कर आप उन आँखों को गाली क्यूँ देते हो ? कल आपको उनसे बहुत प्यार था और उन्हें भी आपसे लेकिन आज इतनी नफरत क्यूँ ?
क्या कल आपकी नज़रों ने धोखा खाया था ? क्या कल आपने कोई गलत फैसला लिया था ?
       अगर हाँ तो मोहब्बत के आशियाने के बासिदों को कहता हूँ कि वो अभी बच्चे है और प्यार मोहब्बत बच्चों का खेल नहीं है जो कि गिल्ली डंडे की तरह खेला जा सके | ऐसा केवल गिल्ली डंडे की स्थिति में संभव है कि गिल्ली या डंडा में से कोई एक टूट जाये तो दूसरा ले लो | प्यार मोहब्बत इन चीजों को इजाजत नहीं देता | मेरा बहुत सीधा सा तर्क है मोहब्बत के आशियाने के बासिंदों से कल जब आप उनके साथ वक्त गुजार रहे थे तो क्या आपको तब वो कमियां नहीं दिखाई दी थी जो आज आप उनसे दूर होने पर देख रहे हैं या आपसे दूर होते ही उनमे वो कमियां आ गयी ? अगर नहीं तो गलती आपकी है |
        अगर नहीं तो मोहब्बत के आशियाने के बासिदों को कहता हूँ कि अपनी इज्जत बचाना सीख लो | अपने ही फैसले से मुकरना वह भी वो फैसला जिसे आपने अपने लिए  लिया था  कितनी बड़ी बेइज्जती वाली बात होती है शायद इसका अंदाजा सभी को होगा | दूसरे भी आप पर विश्वास करना छोड़ देंगे क्यूंकि जब अपने लिए तो आप सही से कुछ कर नहीं पा रहे हैं तो भला आप दूसरे के लिए कुछ करेंगे इस बात की उम्मीद कोई कैसे करेगा ?
       दोस्त आज मोहब्बत की परिभाषा बदल चुकी है इसके कारण मोहब्बत के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूँगा लेकिन एक बात जरूर कहूँगा "मोहब्बत अगर गुनाह है और मोहब्बत करने की कोई सजा है तो उस सजा का पहला हकदार हर वो व्यक्ति है जिसके अंदर इंसानियत नाम की चीज है" क्यूंकि मोहब्बत मैंने तो क्या इस दुनिया का हर वो व्यक्ति किया है  जिसके अंदर थोडा भी इंसानियत ज़िंदा है  |
                                  मेरे ब्लॉग दीप वार्ता से .................................

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