सोमवार, 6 अगस्त 2012

पिता जी


पिता- एक शब्द नही, एक रिश्ता नही, आधार है  जीवन का, बुनियाद है हमारे जीवन की।
एक पिता ही वो चरित्र है, जो समय के साथ अनेक रूप लेत है,कभी पत्थर सा कठोर कभी मोंम । पिता ही एक बालक को व्यक्ति बनाते हैं , समाज में उसकी पहचान बनाते हैं । पिता एक बच्चे को सिर्फ अपना नाम नही देते, अपनी पहचान भी स्थान्तरित करते हैं।

पवन कुमार मिश्रा जी के पिता जी का १ अगस्त २०१२ को अचानक ही हार्ट अटैक के हुआ और कुछ ही पलों में देखते देखते वो चिरनिद्रा में सो गये। इस कठिन समय में हमारी सम्वेदनाऐं उनके तथा उनके परिवार के साथ हैं, ईश्वर उन्हे इस कठिन परिस्थितियों में सामान्य रहते हुये अपने कर्तव्य का पालन करने योग्य धैर्य दे ।
पवन जी के पिताजी का नाम श्री ओंकारनाथ मिश्र है. वह 1950 मे पैदा हुये थे और 1 अगस्त को महाप्रयाण कर गये. वह एक सच्चे कर्मयोगी थे जिन्होने जीवन भर सच का साथ नही छोडा. जौनपुर के छंगापुर गाव मे जन्म और वही मृत्यु. वह पवन जी के पास कानपुर मे  ही थे किंतु से दो दिन पूर्व गांव चले गये थे. राखी से एक दिन पहले  पवन जी की बुआ आयी थी उन्ही से बात करते करते अचानक सीने मे दर्द की शिकायत की और कोई कुछ करता वह इस दुनिया से प्रस्थान कर गये।
कानपुर ब्लागर्स असोसिएसन ऐसे महापुरुष को अपनी श्रद्धांजलि देता है और शोकसंतप्त परिवार के साथ है.


4 टिप्‍पणियां:

  1. माता और पिता ऐसे रिश्ते हें जो जीवन में सिर्फ एक बार मिलते हें और छोट गए तो फिर शेष रह जाती हें उनकी स्मृतियाँ. पावन के पिताश्री के दिवंगत होने पर मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि , ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिवार को धैर्य रखने के शक्ति दे.

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  2. ईश्वर पवन भाई को इस दुःख को सहने की शक्ति दे.

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  3. पिताश्री के दिवंगत होने पर मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि , ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिवार को धैर्य रखने के शक्ति दे

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