बुधवार, 25 जनवरी 2012

राष्ट्रीय मतदाता दिवस !

"हम भारत के नागरिक, लोकतंत्र में अपनी पूर्ण आस्था रखते हुए यह शपथ लेते हें कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं की मर्यादा को बनाये रखेंगे था स्वतन्त्र , निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को अक्षुण रखते हुए , निर्भीक होकर धर्म , वर्ग, जाति, समुदाय, भाषा अथवा अन्य किसी भी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचनों में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।"

२५ जनवरी २०१२ को राष्ट्रीय मतदाता दिवस घोषित करने का उद्देश्य मतदान में नजर रही उदासीनता को दूर करना हैआज युवा पीढ़ी की सोच पुरानी पीढ़ी से बदल रही हैअगर हम सिर्फ विद्याथियों की सोच को देख रहे हें तो एक स्वर में सभी की मांग यही सुनाई पड़ रही है कि प्रत्याशी जाति , वर्ग, धर्म , भ्रष्टाचार और आरक्षण का पोषक हो , उसका समर्थक होविकास के लिए प्रतिबद्ध हो
सरकार भी मतदाताओं को उनके अधिकार प्रति जागरूक बनाने के लिए कार्य कर रही हैइसके लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हेंवैसे भी भारत विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जन जाता है और एक ऐसे लोकतंत्रीय शासन वाले राष्ट्र में मतदाता इसकी कार्यपालिका, विधायिका के सदस्यों के चुनाव के लिए एक महत्वपूर्ण अंश हेंउनका एक मत किसी को भी पराजित या विजयी बना सकता हैअपने वोट के महत्व को समझाने के लिए ही यह सब किया जा रहा हैपिछले कई चुनाव से मतदान के प्रतिशत ४० से ६० प्रतिशत से अधिक कभी भी नहीं हो सका हैइसके लिए उदासीन वर्ग सिर्फ एक कोई तबका नहीं नहीं है बल्कि इसमें प्रबुद्ध वर्ग की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही हैपढ़े लिखे लोग चुनाव के लिए मिली छुट्टी को घर में रहकर एन्जॉय करना चाहते हें और बाहर जाकर चाहे बूथ कितने ही पास क्यों हो पसंद नहीं करते हेंवे लोकतंत्र की सभी सुविधाओं को लेना चाहते हेंचुनाव में होने वाली धांधली कि आलोचना करेंगे लेकिन खुद अपने गिरेबान में झांक कर नहीं देखेंगे कि हम कितने आलोचना के पात्र हें
इस विधान सभा चुनाव में हम आशा करते हें कि मतदान का प्रतिशत बढेगाअगर हम मतदान नहीं करते हें तो फिर हम योग्य या फिर मनचाहे प्रतिनिधि के चुन कर आने की आशा कैसे कर सकते हें?
ऐसा नहीं मतदान के बहिष्कार की बात भी लोग कर रहे हें कि अगर सफाई और सड़क की व्यवस्था में सुधार नहीं होगा तो हम मतदान का बहिष्कार करेंगे लेकिन ये तो उनकी सबसे बड़ी भूल होगी क्योंकि उनका मतदान करना तो किसी को भी चुनकर लाने में सहायक होगा फिर वे जो जागरूक नहीं है या फिर जो जाति धर्म वर्ग के आधार पर समर्थन दे रहे हें उनके मतदान का प्रतिशत अधिक होगा और फिर वही चुन जाएगा जो इस भावना का पोषक होगा वही लोगों को इस आधार पर भ्रमित करके अपने पक्ष में मतदान के लिए उकसा सकता है फिर वह चाहे योग्य , ईमानदार हो या फिर बेईमान या अयोग्य - आप उसको अगले पांच वर्षों के लिए ढोने के लिए बाध्य होंगेआपको अपने मत को सही और योग्य व्यक्ति के समर्थन में देना होगा और अपने संपर्क में आने वाले व्यक्ति भी अगर मतदान के प्रति उदासीन हें तो unhen इस बारे में समझना होगाइस वंशवाद और जातिवाद की परंपरा को हटाकर दल के समर्थन नहीं करना है बल्कि व्यक्ति का चुनाव करना हैदल का चुनाव प्रदेश को सिर्फ बर्बादी ही दे पाया हैकिसी भी दल के मिट्टी के माधो को चुनने से अच्छा है कि एक योग्य व्यक्ति को चुनेंविधान सभा में उसके भी वही अधिकार होंगे जो अन्य के होंगे और अपने क्षेत्र के विकास के लिए अगर वह प्रयत्नशील होगा तो विकास भी अवश्य ही होगा
इस मतदाता दिवस के महत्ता को समझाने की जरूरत है ये आप और हमें सबको जगाने के लिए है कि अब आने वाले सत्ताधारियों को चुनने के लिए सजग होइए और इसके चुनाव आयोग ने बहुत हद तक दलों के प्रचार और लोगों को बरगलाने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगा दिया हैदलों के घोषणा पत्रों में दिए वादों से भ्रमित मत होइए बल्कि अपने विकास की दिशा से खुद परिचित होइए और फिर अपने प्रत्याशी में अगर वे संभावनाएं दिखलाई दे रही हें तो आप अपने विवेक के अनुसार ही मतदान करें

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