बुधवार, 13 अप्रैल 2011

मच्छर भाई


दो मच्छर भाई थे . वे भुन-भुन कोलोनी में अपने माँ-बापू के साथ रहते थे . लगभग हर बच्चे की तरह उनका भी पढाई में मन नहीं लगता था .शाम को जब उनके माँ-बापू काम पर चले जाते थे, दोनों बाकी मच्छर बच्चों के साथ बड़े काले तालाब के काई पार्क में खेलने निकल जाते थे ,भोर फूटने तक खेलते और फिर थके- हारे घर आकर सो जाते . उनके माँ-बापू को इससे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि अधिकतर मच्छर बच्चे ऐसे ही होते हैं . काम पर जाने के लिए पढ़ा-लिखा होने की जरूरत नहीं होती . पढाई तो वो मच्छर करते हैं जिन्हें वैज्ञानिक बनना होता है .

(वैज्ञानिक मच्छरों को मुख्यतः नई दवाइयों की खोज करनी होती है ताकि मनुष्यों द्वारा प्रयोग करे जाने वाले नए-नए प्रकार के जहरों से उनका बचाव हो सके .)

मच्छर भाई यूं ही खेलते-कूदते बड़े हुए . वे अब काम पर भी जाने लगे . मच्छरों का काम क्या होता है ? खून पीना नहीं, खून चूसकर जमा करना . वैसे ही जैसे मधुमखियाँ करती हैं .  वे शीशियों में खून इकठ्ठा करते हैं और प्यास लगी तो एक-दो घूँट पी भी लेते हैं . अब नदी में पानी भरने गए और प्यास लगी तो घर आकर मटकी से थोड़े ही पियेंगे. वहीँ नदी से पी लेंगे . यही मच्छर भी करते हैं.
मच्छरों की दुनिया में खून का बड़ा महत्त्व होता है-खाना,पानी, currency -सबकुछ वही होता है . इसीलिए सब लोग इसे जमा करते हैं . दोनों मच्छर भाइयों के बापू बहुत ही मेहनती और बहुत ही कंजूस थे . कभी-कभी दिन की शिफ्ट भी कर लेते थे . अतः उनके पास बहुत सारा खून जमा था . ज़ाहिर सी बात है, उनके बाद वह सब दोनों भाइयों में ही बटना था . एक दिन बापू काम पर गए .  बढ़िया जगह देखकर काम शुरू ही करा था कि उनपर एक जोरदार प्रहार हुआ . उनकी एक टांग और एक पर टूट गया . किसी तरह घर पहुंचे और दो घंटे के अंदर-अंदर उनकी आत्मा का पंछी फुर्र हो गया .
इधर माँ रोती-बिलखती चूड़ियाँ तोड़कर सिन्दूर पोंछ रही थी और एक भाई क्रिया-कर्म की तैयारी कर रहा था. उधर दूसरा भाई अपने मन में तरह-तरह की चालें सोच रहा था . वह सारी जायदाद अकेले चाहता था . अपने भाई के साथ बांटना नहीं चाहता था . वह कई दिनों तक सोचता रहा और तैयारी करता रहा . आखिरकार अपने भाई को रास्ते से हटाने की सारी व्यवस्था उसने कर ली.
दोनों भाई अब एकसाथ काम पर जाते थे . एक शाम जब वे एक जगह से दूसरी जगह जा रहे थे,एक भाई जरा थक गया और आराम करने के लिए एक दीवार पर बैठ गया . दूसरा भाई बोला-
"क्या हुआ भाई? रुक क्यूं गए?"
 "थक गया हूँ यार. जरा सांस ले लूं फिर आगे चलेंगे."
"थोडा खून पी लो थकान दूर हो जाएगी."
"नहीं-नहीं.माँ के लिए भी तो बचाना है. वो अब काम पर जो नहीं आती."
"कोई बात नहीं. मेरी एक बोतल से पी लो. ताजा है और इतना स्वादिष्ट की मैंने पेट भरकर पी लिया. मुझे जरूरत नहीं,तुम पी लो."
"अच्छा लाओ दो."
दूसरे मच्छर ने उसे एक बोतल दी . दरअसल उस बोतल में खून नहीं था .  बल्कि लाल मिर्च और शराब का घोल था . उसे पीते ही वह "सी-सी" करता हुआ भागा (उड़ा) और एक कूलर की टंकी में पानी पीने लगा . जब वह मुंडेर पर झुककर पी रहा था, उसके भाई ने उसे पानी में धक्का दे दिया . पर वह डूबकर नहीं मरा . किसी तरह बाहर निकला तो उसे ठण्ड लगने लगी . वह वहीँ पास में जल रहे एक कूड़े के ढेर के पास जाकर बैठ गया . दूसरे भाई ने झटपट आग में बम फ़ेंक दिया. मच्छर बुरी तरह से घायल हो गया. वह हॉस्पिटल में भारती हुआ.
हॉस्पिटल में उसका भाई रोने का नाटक करते हुए आया और अपने भाई के पास गया जो बेहोश था . उसके चेहरे पर विजय की चमक थी . उसकी मेहनत रंग लायी .  सब कुछ प्लान के मुताबिक़ हुआ था . उसने मुस्कुराते हुए धीरे से oxygen -मास्क हटा दिया और उसका भाई मर गया.
इस तरह मच्छर सारी जायदाद का अकेला मालिक बन गया और सारी जिंदगी ऐशो-आराम से रहा.   

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